फागुन की छायी बहार है ,सब मिल खेलो रंग । हर सू बिखरा रंग केसरी ,मनवा हुआ मलंग फागुन की छायी बहार है ,सब मिल खेलो रंग । हर सू बिखरा रंग केसरी ,मनवा हुआ मलंग
इतना भी ना स्वाद ले सारे मसाले भर मुठ्ठी में हम पर ही उड़ेल दे। आंखो में मिर्च की ज इतना भी ना स्वाद ले सारे मसाले भर मुठ्ठी में हम पर ही उड़ेल दे। आंखो मे...
जो हर दिन अपनाओ तो हिन्द का सरताज अमर कर दूँ। जो हर दिन अपनाओ तो हिन्द का सरताज अमर कर दूँ।
आज़ादी के मतवालों ने, हँस-हँसकर दी क़ुर्बानी। आज़ादी के मतवालों ने, हँस-हँसकर दी क़ुर्बानी।
सुभाष चंद्र बोस के ऊपर एक कविता। सुभाष चंद्र बोस के ऊपर एक कविता।
मिटा देना है ऐसा आंतक जो देश को ललकारता है.....। मिटा देना है ऐसा आंतक जो देश को ललकारता है.....।